घबराएं नहीं, एडवांस स्टेज में भी ठीक होगा कैंसर
सेहतराग टीम
कैंसर के ज्यादातर मरीज एडवांस स्टेज आने पर ही इलाज के लिए डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। ऐसा अकसर इस लिए होता है कि या तो लोगों को बीमारी का पता देर से चलता है या उनमें बीमारी को लेकर जागरूकता का अभाव होता है। अब तक यह माना जाता रहा है कि एडवांस स्टेज के कैंसर में मरीज का बच पाना बेहद मुश्किल होता है मगर दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सर्जरी और हाइपैक (हाइपोथेर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमाथेरेपी) तकनीक के संयुक्त इस्तेमाल से पेट से संबंधित विभिन्न तरह के एडवांस स्टेज के कैंसर पीड़ितों की जान भी बचाने में कामयाबी मिल रही है।
एम्स के कैंसर सेटर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग और यूरोपियन सोसायटी ऑफ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के साझे सम्मेलन में इलाज की इस नई तकनीक और इसके नतीजों पर चिकित्सकों ने चर्चा की।
चिकित्सकों का कहना है कि कैंसर के गंभीर मरीजों को ऑपरेशन के दौरान ऑपरेशन टेबल पर ही यदि कीमोथेरेपी भी दी जाए तो मरीज की जिंदगी चार से पांच साल तक बढ़ाना संभव है। एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ.एसवीएस देव ने कहा कि एम्स में इस तकनीक से अबतक करीब 100 मरीजों का इलाज हो चुका है और और करीब 40 फीसदी मरीजों में इसका असर बहुत अच्छा पाया गया।
उन्होंने बताया कि एम्स में छह साल पहले यानी 2012 से इस तकनीक से इलाज किया जा रहा है हालांकि जब पहला ऑपरेशन इस तकनीक से किया गया तब एम्स में हाइपैक मशीन उपलब्ध नहीं थी और इसके लिए तब वैकल्पिक तौर पर हार्ट लंग मशीन का इस्तेमाल कर मरीज को कीमो दिया गया था। 2014 में हाइपैक मशीन आ जाने के बाद ऐसे ऑपरेशन नियमित रूप से हो रहे हैं।
वैसे यह इलाज सिर्फ यहीं हो रहा हो ऐसा नहीं है। देश के करीब 10 बड़े अस्पताल ऐसा इलाज कर रहे हैं हालांकि इनमें अधिकांश बड़े निजी अस्पताल हैं जहां इलाज का खर्च कई बार मरीज की पहुंच से बाहर चला जाता है।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सुनील कुमार के अनुसार इस तकनीक से पेट के अंदर की सतह के कैंसर, ओवरी, बड़ी आंत, रेक्टम कैंसर व अपेंडिक्स के कैंसर से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
(दैनिक जागरण से साभार)
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